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Raag Yaman Notes – राग यमन

Raag Yaman Notes

Raag Yaman Notes : Raag Yaman is one of the most popular and melodious ragas in Indian classical music. It belongs to the Kalyan Thaat and is traditionally performed in the evening. Below are the notes (Swaras) and structure of Raag Yaman:

Arohana (Ascending Scale):

Ni Re Ga Ma(tivra) Dha Ni Sa
(Notes: N R G Ṁ D N Ṡ)

Avarohana (Descending Scale):

Sa Ni Dha Pa Ma(tivra) Ga Re Sa
(Notes: Ṡ N D P Ṁ G R S)

Jati:

Shadav-Sampurna (Six notes in the ascent, seven in the descent)

Vadi (Most Prominent Note):

Ga (Gandhar)

Samvadi (Second Most Prominent Note):

Ni (Nishad)

Pakad (Characteristic Phrase):

Ni Re Ga, Re Ga Ma(tivra), Dha Ni Sa
Sa Ni Dha, Pa Ma(tivra) Ga, Re Sa

Time of Performance:

First prahar of the night (6 PM to 9 PM).

Special Features:

  1. Ma (Tivra Ma) is the key distinguishing note and adds a unique flavor to the raga.
  2. The use of Shuddh Ma is avoided.
  3. Raag Yaman emphasizes meend (glides) between notes and the smooth flow of swaras.

राग यमन (Raag Yaman in Hindi)

राग यमन भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे मधुर और लोकप्रिय रागों में से एक है। यह कल्याण थाट का राग है और इसकी पहचान इसके विशेष स्वरों और सुरों के प्रवाह से होती है। यह राग आमतौर पर शाम के समय गाया और बजाया जाता है, जो मन में शांति और उत्साह का संचार करता है।

विशेषताविवरण
थाटकल्याण थाट
जातिषाड़व-समपूर्ण (आरोह में 6 स्वर, अवरोह में 7 स्वर)
वादी स्वरगांधार (ग)
संवादी स्वरनिषाद (नि)
गायन/वादन का समयरात्रि का प्रथम प्रहर (6 से 9 बजे के बीच)

स्वर
आरोह: नि रे ग म (तीव्र) ध नि सां
अवरोह: सां नि ध प म (तीव्र) ग रे सा

विशेषता: राग यमन में शुद्ध मध्यम (म) का प्रयोग नहीं होता है, केवल तीव्र मध्यम (म तीव्र) का ही प्रयोग होता है।

पकड़ (मुख्य स्वर समूह)
नि रे ग, रे ग म (तीव्र), ध नि सां
सां नि ध, प म (तीव्र) ग, रे सा

विशेषताएँ

  1. तीव्र मध्यम (म तीव्र) राग की प्रमुख विशेषता है, जो इसे अन्य रागों से अलग बनाता है।
  2. स्वरों का प्रवाह बहुत ही कोमल और आकर्षक होता है।
  3. इसमें मींड (स्वरों का खिंचाव) का विशेष महत्व है, जो राग की मिठास को बढ़ाता है।
  4. यह राग शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव कराने वाला है।

भाव (मूड)
राग यमन में भक्ति, रोमांस और आनंद का समावेश होता है। इसका प्रदर्शन श्रोता और कलाकार दोनों को मानसिक शांति और प्रसन्नता प्रदान करता है।

राग़ यमन की उल्लेखनीय रचनाएँ

राग यमन में शास्त्रीय बंदिशों के साथ-साथ ठुमरी, भजन और लोकप्रिय गानों की रचना भी होती है। कुछ उदाहरण:

  1. “ए री आली पिया बिन” (खयाल)
  2. “चपला छवि नयन बिनोदिनी” (बंदिश)
  3. हिंदी फिल्मी गीत: “चाहूं भी तो कैसे कहूं” (फिल्म: जिंदगी)

FAQs on Raag Yaman Notes

राग यमन किस थाट से संबंधित है?

राग यमन कल्याण थाट से संबंधित है।

राग यमन में कौन-कौन से स्वर प्रयोग होते हैं?

राग यमन में निम्नलिखित स्वर प्रयोग होते हैं:
आरोह: नि रे ग म (तीव्र) ध नि सां
अवरोह: सां नि ध प म (तीव्र) ग रे सा
इसमें केवल तीव्र मध्यम (म तीव्र) का प्रयोग होता है।

राग यमन का प्रदर्शन कब किया जाता है?

राग यमन का प्रदर्शन रात्रि के प्रथम प्रहर (शाम 6 बजे से रात 9 बजे तक) किया जाता है।

राग यमन की जाति क्या है?

राग यमन की जाति षाड़व-समपूर्ण है। आरोह में 6 स्वर और अवरोह में 7 स्वर प्रयोग होते हैं।

राग यमन की पहचान कैसे की जाती है?

राग यमन की पहचान इसके तीव्र मध्यम (म तीव्र) के विशेष प्रयोग और स्वरों के कोमल प्रवाह से की जाती है।

राग यमन की मुख्य पकड़ क्या है?

राग यमन की पकड़ है:
नि रे ग, रे ग म (तीव्र), ध नि सां | सां नि ध, प म (तीव्र) ग, रे सा

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